Sunday, September 28, 2014

कल न आयेगा कभी

खूब करले जोड़ कर ले तोड़
आजमा ले नुस्खे सभी
याद रख पर भूल मत के
कल न आयेगा कभी

आज की बरसात सच है
आज का गुलशन सजा
फ़िक्र कल की क्या करे तू
कल का जब कुछ न पता

आज जो है वो है तेरा
स्वपन से बहार निकल
करले जो करना तुझे है
आज बेहतर न की कल

भूल जा बीते हुए को
सोच मत कल का अधिक
कल जियेगा कल हंसेगा
कल न आयेगा कभी

Saturday, September 6, 2014

संसार की रीत

जो बीता वो चला गया
न कभी भी वापस आने को
बहता पानी ज्युँ निकल गया
बन कर सागर लहराने को

जैसे मृत सय्या पर सोया
न उठा कभी वो आने को
भूला मैं भी बीते कल को
नई अपनी राह बनाने को

अपना कर्तव्य निभाने को
और आगे बढ़ते  जाने को 

Wednesday, August 27, 2014

स्वपन सुंदरी

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई

हृदय उजाड़ पड़ा है कैसे
फूले थे जिसमे पुष्प सुनहरे
उन पुष्पों की मतवाली देवी
एक मात्र स्वामिनी चली गई

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई

प्रेम का नाम जुड़ा है उस से
सोचू अब भी उसके क़िस्से
बीते कल में जीने मुझको छोड़ ! वो कैसे चली गई

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई

न भाये संसार की माया
सबमे ढूंढो उसकी छाया
दिन डूबा वो छाया मेरी चली गई

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई

हूँ जीवित मैं कैसे ? लिखता ?
कैसे हूँ हँसता गाता?
प्राणो की वो प्राण पियारी
प्राण छोड़ जब चली गई

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई

Wednesday, May 7, 2014

क्या पता

आज फिर हवा चली
और पत्ता टूट गया
गलती किसकी ?
पत्ते की या हवा की
क्या पता

आज फिर घटा चढ़ी
और बांध टूट गया
गलती किसकी ?
बांध की या पानी की
क्या पता

आज फिर लहर बढ़ी
और घरोंदा टूट गया
गलती किसकी ?
लहर की या रेत की
क्या पता

शायद हमारी
जो कमज़ोर पेड़ लगाये
बांध कच्चे बांधे
रेत के सपने सजाये

आज फिर बरसात आई
आज फिर वो याद आई
और दिल टूट गया
गलती किसकी ?
दिल की याद की या उसकी
क्या पता

Thursday, February 13, 2014

रेत के घरोंदे

एका-एक एहसास हुआ

अरे ! एक सपना आधा सजा लिया

झट से लपका उसकी ओर

और हाँथ फेर कर समतल कर दिया

इस से पहले कि लहर आये और सबकुछ मिटा जाये

दिल फिर टूटकर बिखर जाये

मेने ऊंघती उम्मीद को सहला कर सुला दिया

बेबसी का कुछ एहसास तो हुआ पर फिर खुद को समझा लिया

रेत  के घरोंदो का मुकद्दर तो मैं न बदल पाउँगा

पर सोचा है बस लहरों को देखूंगा, अब और न घर बनाऊगा


Saturday, February 8, 2014

सब में है भगवान

सब में है भगवान रे मनवा

सब में है भगवान


नाम रूप का फर्क है केवल

सब है एक समान रे मनवा

सब में है भगवान

 

लहर-लहर में सागर जैसे

अलग अलग बस नाम रे मनवा

सब में है भगवान


नर नारी हो पेड़ हो पंछी

कण-कण में विधमान रे मनवा

सब में है भगवान


प्रेम बहे नस नस में जैसे

प्रेम प्रभु का नाम रे मनवा

सब में है भगवान


सब में है भगवान रे मनवा

सब में है भगवान

Saturday, February 1, 2014

ग़लतफ़हमी

गलती तो इतनी है हमारी कि खुद को

तुम्हारे हर एक लम्हे का हक़दार समझ  बैठे

कहा था तुमने हर एक कि अपनी अलग होती है ज़िन्दगी

पर खुद कि ज़िन्दगी दे तुमको ज़िम्मेदार समझ बैठे

हर एक लम्हे में तुम्हे ढूंढा करते

न होती तुम तो मायूस हुआ करते 

गलती तो इतनी है हमारी कि तुम्हे अपना संसार

और तुम्हारे बिन इस संसार को बेकार समझ बैठे

कहा था तुमने समय के साथ  सब बदल जाता है

पर हम तुम्हरे मेरे प्यार को सदाबहार समझ बैठे

गलती तो इतनी है हमारी कि तुमको अपना सबकुछ

और खुद को तुम्हारे बिन लाचार समझ बैठे

Friday, January 31, 2014

बातों बातों में

कुछ मैं कहता रहा और वो सुनती रही

उसकी आवाज़ कानो में गूंजती रही

मेरे चेहरे में एक खिलखिलाहट सी है

मानो दुनियां कि खुशियां मुझे मिल गई

रात ढलती गई

सुइयां घूमती गई

वक्त थमता नहीं

लव्ज़ कमते नहीं

फिर भी कुछ तो है ऐसा जो रह सा गया

फिर भी कुछ तो है कहके भी कह न गया

रात में नींद में 

जैसे वो ही दिखी

कुछ वो कहते हुए

कुछ मैं सुनते हुए

इंतहा हो गई दिन ये कटता नहीं

रात आये तो फिर से मुलाकात हो

धीरे-धीरे से फिर से वही बात हो...

धीरे-धीरे से फिर से वही बात हो …