Thursday, February 13, 2014

रेत के घरोंदे

एका-एक एहसास हुआ

अरे ! एक सपना आधा सजा लिया

झट से लपका उसकी ओर

और हाँथ फेर कर समतल कर दिया

इस से पहले कि लहर आये और सबकुछ मिटा जाये

दिल फिर टूटकर बिखर जाये

मेने ऊंघती उम्मीद को सहला कर सुला दिया

बेबसी का कुछ एहसास तो हुआ पर फिर खुद को समझा लिया

रेत  के घरोंदो का मुकद्दर तो मैं न बदल पाउँगा

पर सोचा है बस लहरों को देखूंगा, अब और न घर बनाऊगा


Saturday, February 8, 2014

सब में है भगवान

सब में है भगवान रे मनवा

सब में है भगवान


नाम रूप का फर्क है केवल

सब है एक समान रे मनवा

सब में है भगवान

 

लहर-लहर में सागर जैसे

अलग अलग बस नाम रे मनवा

सब में है भगवान


नर नारी हो पेड़ हो पंछी

कण-कण में विधमान रे मनवा

सब में है भगवान


प्रेम बहे नस नस में जैसे

प्रेम प्रभु का नाम रे मनवा

सब में है भगवान


सब में है भगवान रे मनवा

सब में है भगवान

Saturday, February 1, 2014

ग़लतफ़हमी

गलती तो इतनी है हमारी कि खुद को

तुम्हारे हर एक लम्हे का हक़दार समझ  बैठे

कहा था तुमने हर एक कि अपनी अलग होती है ज़िन्दगी

पर खुद कि ज़िन्दगी दे तुमको ज़िम्मेदार समझ बैठे

हर एक लम्हे में तुम्हे ढूंढा करते

न होती तुम तो मायूस हुआ करते 

गलती तो इतनी है हमारी कि तुम्हे अपना संसार

और तुम्हारे बिन इस संसार को बेकार समझ बैठे

कहा था तुमने समय के साथ  सब बदल जाता है

पर हम तुम्हरे मेरे प्यार को सदाबहार समझ बैठे

गलती तो इतनी है हमारी कि तुमको अपना सबकुछ

और खुद को तुम्हारे बिन लाचार समझ बैठे