Tuesday, April 5, 2011

पथ का बरगद

पथ के बरगद की छाओं में
तू थम न जाना ऐ राही
उन मीठी ठण्ड हवाओं में 
तू रम न जाना ऐ राही

है दूर तलक तुझको जाना
है मंजिल का पैगाम यही 
हर पग पर राहें फूटी हैं 
इन राहों की भरमारों में 
तू गुम न जाना ऐ राही

पथ के बरगद की छाओं में
तू थम न जाना ऐ राही


जब छाया घोर अँधेरा हो 
गिर जाने का डर गहरा हो 
जब कोसों दूर सवेरा हो 
बस एक दीपक की ख्वाइश में 
तू जम न जाना ऐ राही

पथ के बरगद की छाओं में
तू थम न जाना ऐ राही

दिन में सूरज का साथ लिए
रातों में प्यार अँधेरे से 
बढ़ता जा तू अपनी धुन में 
बस एक साथी की चाहत में 
तू ग़म न जाना ऐ राही 

पथ के बरगद की छाओं में
तू थम न जाना ऐ राही
उन मीठी ठण्ड हवाओं में 
तू रम न जाना ऐ राही


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