पथ के बरगद की छाओं में
तू थम न जाना ऐ राही
उन मीठी ठण्ड हवाओं में
तू रम न जाना ऐ राही
है दूर तलक तुझको जाना
है मंजिल का पैगाम यही
हर पग पर राहें फूटी हैं
इन राहों की भरमारों में
तू गुम न जाना ऐ राही
पथ के बरगद की छाओं में
तू थम न जाना ऐ राही
जब छाया घोर अँधेरा हो
गिर जाने का डर गहरा हो
जब कोसों दूर सवेरा हो
बस एक दीपक की ख्वाइश में
तू जम न जाना ऐ राही
पथ के बरगद की छाओं में
तू थम न जाना ऐ राही
दिन में सूरज का साथ लिए
रातों में प्यार अँधेरे से
बढ़ता जा तू अपनी धुन में
बस एक साथी की चाहत में
तू ग़म न जाना ऐ राही
पथ के बरगद की छाओं में
तू थम न जाना ऐ राही
उन मीठी ठण्ड हवाओं में
तू रम न जाना ऐ राही
Good Brijesh. Keep it up.
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