हम भी हैं काबिल मुश्किल को
अब तो बस यह समझाना है
मझधार सही, हर बार सही
बस आगे बढ़ते जाना है
लहरें सागर का गहना हैं
उनका आना स्वाभाविक है
छोटी, ऊँची,नीची लहरें
तूफाँ आना भी जायज़ है
जो तुम ना मानों हार
ये लहरें अपना शीष झुकएँगी
जो तुमने मानी हार
तो लहरें तुमको आज डूबायेंगी
लहरों से हम क्यों डरें
हमें भू खोज नयी अब लाना है
मझधार सही हर बार सही
बस आगे बढ़ते जाना है
रास्ता सीधा सब चल जाएँ
अड़चन आई तो रुक जाएँ
पर वीर वही कहलाते हैं
जो आगे बढ़ते जाते हैं
आंधी आये तूफाँ आये
सब रुक जाएँ तो रुक जाएँ
पथ में जो आई चट्टानें
उनको भी अब पिघलाना है
जब सबने घुटने टेक दिए
तब हमको पाँव बढ़ाना है
मझधार सही हर बार सही
बस आगे बढ़ते जाना है
जिनको है प्यार उड़ानों से
वो कब डरते गिर जाने से ?
जो गिरकर हम यूँ रुक जाते
जो थककर हम यूँ झुक जाते
तो क्या पंछी हमसे जलते ?
तो क्या तारे हम छू पाते ?
हर गलती से सीखा हमने
हर बार नया विश्वास जगा
"जो चाहा है वो पाया है"
ये गीत हमें फिर गाना है
मझधार सही हर बार सही
बस आगे बढ़ते जाना है
ye kisne likhi HAI BRIJESH KAHI PADHI HUI SI LAG RAHI HAI
ReplyDeleteWah !!! Kya baat hai....
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