चलो कोई तो बुरी आदत डालें,
ज़िन्दगी इतनी साफ़ सुथरा अच्छी नहीं लगतीछुपाने को जो कुछ न हो, तो बताने में मज़ा ही क्या
आओ कोई तो राज़ पालें, ज़िन्दगी बिना राजों के अच्छी नहीं लगती
मिलादे सुरों में एक सुर अपना,कूद जाएँ समंदर में
ज़िन्दगी बैठकर किनारे अच्छी नहीं लगती..
बटोरें चाँद टुकड़े और बुने फिर ख्वाब एक अपना
ज़िन्दगी बिना क्वाबों के भी अच्छी नहीं लगती..
चलो कोई तो बुरी आदत डालें,
ज़िन्दगी इतनी साफ़ सुथरा अच्छी नहीं लगती..
best f d lot!!! :)
ReplyDeleteKya buri aadat dale be
ReplyDeleteis pe ek kavita alag se likhege
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