अपने आँचल में फिर छुपालो न माँ
ये दुनियां मुझे घूरती है
अपनी गोद में फिर सुला लो न माँ
ये दुनिया मुझे घूरती है
भागते भागते थक गया हूँ
टूटे सपनो के टुकड़ो में घिरा हूँ
आज फिर लोरी सुना दो न माँ
ये दुनियां मुझे घूरती है
अपनों में भी अकेला सा रहता हूँ
हर वक़्त डरा सा रहता हूँ
फिर अपना प्यार जता दो न माँ
ये दुनिया मुझे घूरती है
ज़िन्दगी में जो भी मैंने काम किये
लोगो ने क्या क्या मुझे नाम दिए
आज फिर राजा बेटा बुला दो न माँ
ये दुनियां मुझे घूरती है
मिलने बिछड़ने के लगे रहे रेले
किस्मत ने ऐसे ऐसे खेल खेले
आज फिर काला टीका लगादो न माँ
ये दुनिया मुझे घूरती है
कमजोर हूँ थक सा गया हूँ
पर अब भी मैं हरा नहीं हूँ
ये इस दुनिया को बटला दो न माँ
ये दुनिया मुझे घूरती है
मेरे सर पे हाथ फिर फिरा दो न माँ
ये दुनिया मुझे घूरती है
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