Tuesday, September 8, 2015

ऐ दिल क्यों पागलपन करता है

कुछ कहना भी है 
चुप रहना भी है
ऐ दिल क्यों पागलपन करता है 

दुनियादारी में माहिर है 
दिल में लेकिन जज़्बात भी है 
दुनिया में कुछ न रखा है 
पर हल्का  हल्का स्वाद भी है 

कछ करना भी है 
और डरना भी है 
ऐ दिल क्यों पागलपन करता है 

करता तो सुबह ध्यान भी है 
बजरंगबली भगवन भी है 
चिड़िया की आँख निशान भी है 
दिल में उठते अरमान भी है

कुछ पाना भी है 
सो जाना भी है 
ऐ दिल क्यों पागलपन करता है 



Friday, July 3, 2015

सावन बदल गया

उड़ता बादल तेरा काजल
उड़ता बादल तेरा आँचल
उड़ता बादल मेरा दिल पागल
उड़ता बादल जैसे बीता कल

रिमझिम बूँदें हवा सुहानी
रिमझिम बूँदें जुल्फों का पानी
रिमझिम बूँदें क्यों हैं हैरानी
रिमझिम बूँदें आई याद पुरानी

फूल खिले ज्यूँ तुम मुस्काई
फूल खिले तुम बन कर आई
फूल खिले फिर भी तन्हाई
फूल खिले कुछ समझ न आई


Thursday, May 21, 2015

माँ से

अपने आँचल में फिर छुपालो न माँ 
ये दुनियां मुझे घूरती है 
अपनी गोद में फिर सुला लो न माँ 
ये दुनिया मुझे घूरती है 

भागते भागते थक गया हूँ 
टूटे सपनो के टुकड़ो में घिरा हूँ 
आज फिर लोरी सुना दो न माँ 
ये दुनियां मुझे घूरती है 

अपनों में भी अकेला सा रहता हूँ 
हर वक़्त डरा सा रहता हूँ 
फिर अपना प्यार जता दो न माँ 
ये दुनिया मुझे घूरती है 

ज़िन्दगी में जो भी मैंने काम किये 
लोगो ने क्या क्या मुझे नाम दिए 
आज फिर राजा बेटा बुला दो न माँ 
ये दुनियां मुझे घूरती है 

मिलने बिछड़ने के लगे रहे रेले 
किस्मत ने ऐसे ऐसे खेल खेले
आज फिर काला टीका लगादो न माँ
ये दुनिया मुझे घूरती है 

कमजोर हूँ थक सा गया हूँ 
पर अब भी मैं हरा नहीं हूँ 
ये इस दुनिया को बटला दो न माँ 
ये दुनिया मुझे घूरती है 

मेरे सर पे हाथ फिर फिरा दो न माँ 
ये दुनिया मुझे घूरती है