Wednesday, August 27, 2014

स्वपन सुंदरी

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई

हृदय उजाड़ पड़ा है कैसे
फूले थे जिसमे पुष्प सुनहरे
उन पुष्पों की मतवाली देवी
एक मात्र स्वामिनी चली गई

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई

प्रेम का नाम जुड़ा है उस से
सोचू अब भी उसके क़िस्से
बीते कल में जीने मुझको छोड़ ! वो कैसे चली गई

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई

न भाये संसार की माया
सबमे ढूंढो उसकी छाया
दिन डूबा वो छाया मेरी चली गई

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई

हूँ जीवित मैं कैसे ? लिखता ?
कैसे हूँ हँसता गाता?
प्राणो की वो प्राण पियारी
प्राण छोड़ जब चली गई

जो थी मेरी स्वपन सुंदरी प्यारी न्यारी चली गई
संग अपने सब सपने मेरे लेकर कैसे चली गई