Sunday, June 20, 2010

एक धुंधला सितारा

आसमान में इतने सारे तारे, सारे दूर नहीं कोई पास
कुछ हँसते कुछ मुस्कुराते कुछ लग रहे हैं उदास

कुछ अपनी चमक पर इतराते हुए
कुछ अपने अस्तित्व को बचाते हुए

यह देख कर, मै असमंजस मे पड़ गया....

कहीं ये तारे भी हम जैसे तो नहीं होते है
खुसी मे हँसते हैं और गम मे उदास होते हैं

चमकीले  तारो  को  उनकी  मस्ती मे मस्त रहने दिया
एक किनारे वाले धुंधले तारे से मैंने पूँछ ही लिया

क्या बात है तारे तुम  क्यों इतना उदास हो
क्यों सबसे दूर हो नहीं सबके साथ हो

एक हलकी सी मुस्कान के साथ उस तारे ने जवाब दिया........

जो साथ थे अब वो बहुत दूर हैं
जो खास थे अब वो बहुत दूर हैं

भीड़ मे हूँ फिर भी अकेलापन मेरे साथ है
इस लिए यह सितारा आज उदास है.

ये सुन कर मेरा असमंजस हट गया...

ये तारे तो वाकई हम जैसे होते हैं
किसी का साथ पाकर हँसते हैं, और अकेलेपन मे उदास होते हैं

जैसे जैसे रात आगे बढ़ी
हमारी बातें भी उसके पीछे चल पड़ी

उसकी बातें मुझे सीढ़ी और सच्ची लगी
कई दिनों बाद  किसी की बातें मुझे अच्छी लगी

वो भी हंसा और मुस्कुराया
शायद उसे भी मेरा साथ पसंद आया

बातों ही बातों मे उसकी धुन्धलाहट और मेरी तनहाई कहीं खो गई
रात तो निकल गई, पर उस किनारे वाले धुंधले सितारे से मेरी दोस्ती हो गई


आसमान मे इतने सारे तारे, सारे दूर नहीं कोई पास
पर अब है एक धुंधला सा सितारा, जो दूर रहकर भी है मेरे लिए ख़ास....

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