Wednesday, May 7, 2014

क्या पता

आज फिर हवा चली
और पत्ता टूट गया
गलती किसकी ?
पत्ते की या हवा की
क्या पता

आज फिर घटा चढ़ी
और बांध टूट गया
गलती किसकी ?
बांध की या पानी की
क्या पता

आज फिर लहर बढ़ी
और घरोंदा टूट गया
गलती किसकी ?
लहर की या रेत की
क्या पता

शायद हमारी
जो कमज़ोर पेड़ लगाये
बांध कच्चे बांधे
रेत के सपने सजाये

आज फिर बरसात आई
आज फिर वो याद आई
और दिल टूट गया
गलती किसकी ?
दिल की याद की या उसकी
क्या पता