Sunday, September 22, 2013

लक्टकिया की कहानी

एक गाँव में  एक लड़का रहता था उसका नाम था लक्टकिया। वह एक चरवाहा था रोज़ अपनी भैसों को लेकर दूर तक घांस चराने ले जाता।  लक्टकिया की शादी हुई एक सुन्दर लड़की से, वह बहुत सुशील थी लेकिन  लक्टकिया हमेसा उसे डांटता रहता।   वह जब रोज़ भैस चारा कर आता तो अपनी पत्नी से लड़ाई करता कभी खाने के ऊपर तो कभी कम के ऊपर , इस रोज़ रोज़ की लड़ाई से उसकी पत्नी परेसान हो गई  थी।

एक दिन की बात है लक्टकिया ने अपनी पत्नी से कहाँ की सुबह कुछ पूड़ी बना दें उसे किसी काम से दूर तक जाना है।  सुबह हुई तो उसकी पत्नी ने आटे में खूब सारा ज़हर मिला कर बड़ी बड़ी चेह पूडिया बनाकर कपडे में बांध कर उसे दे दी। आज उसे रोज़ रोज़ के तानो से मुक्ति मिलने वाली थी।  इस सब से अनजान लक्टकिया अपना कलेवा ले कर सुबह  आगे बढ़ गया , जैसे ही वह नदी के पास पहुंचा झड़ियों में छुपे कुछ चोरों ने उसे धर दबोचा। चोरों के पूंछा इस पोटली में क्या है , डरते हुए लक्टकिया बोल मालिक कुछ पूडिया है जो मेरी पत्नी ने मेरे लिए बनाई थी , इसके  अलावा मेरे पास कुछ नहीं है।  चाहे तो सारी पूड़ियाँ खा लो पर मेरी जन बक्श दो।  चोरों के सोचा चलो कुछ तो मिला इन्हें खाकर आज का कम चलाया जाएँ।  सारे चोरों ने मिलकर पूड़ियाँ खाई और देखते ही देखते सब के सब पूडिओं में मिले ज़हर की वजह से मर गये।  लक्टकिया अचंभित हुआ , इतने में वहां राज के सिपाही आगएं। उन्होंने लक्टकिया से पुछा तुम कोंन हो और ये कोन लोग है जो मरे पड़े हैं। लक्टकिया ने सोचा क्यों न मौके का फायदा उठाया जाएँ , वह अकड कर बोला , ये चोर हैं मेने एक को थप्पड़ मारा और बांकी सब धमक से मर गये।  राजा के सिपाही हैरान की यह कोंन आदमी है जो एक ही थप्पड़ से इतने लोगों को मर देता है, इसे तो महाराज के पास ले जाना चाहिए।  वे लक्टकिया को महाराज के पास ले गए।

लक्टकिया को राजदरबार में पेश किया गया। महाराज ने पुछा क्या यह सच है की तुमने एक चोर को थप्पड़ मार और बांकी पाँच उसकी धमक से मर गये।  क्या सच में तुमने उन छहों अकेले मर दिया ?
लक्टकिया सर झुकर बोल हाँ महाराज।  राजा ने सोचा इतना ताकतवर इन्सान है इसे अपने यहाँ  नौकरी पे रख लेना ठीक रहेगा।  राजा ने उसे अपने यहाँ रख लिये।  लक्टकिया नौकरी पाकर खुश था अब भैंस चराने से मुक्ति मिल गई थी।  लेकिन राजा ने उसे आजमाने की सोची , उसी समय राज्य में एक शेर ने आतंक फैला के रखा था।  वह रोज़ लोगों की बकरियां और गाय उठा ले जाता था।  राजा ने पुछा लक्टकिया क्या तुम उसे मार सकते हो ?  लक्टकिया बोला क्यों नहीं महाराज ये तो मेरे बाएं हाथ का खेल है।  यह सुन कर राजा बहुत खुश हुआ।  राज ने कहा तुम कहो तो कुछ सिपाही तुम्हरे साथ भेज दूं , लक्टकिया बोल नहीं महाराज ये आपके सिपाही किसी काम के नहीं है , शेर को तो में अकेले ही मर दूँगा। दरबार में सन्नाटा छा गया , लक्टकिया ने राजा से कहा महाराज अगर पान सुपारी के लिए कुछ पैसे दे देते तो बड़ी कृपा हॊति।  राजा के इशारे पर उसे कुछ पैसे दे दिए गाये।

लक्टकिया बड़े सुबेरे उठा और पान सुपारी के पैसों से एक बाकरी और रस्सी खरीद लाया।  शाम से पहले वह उसे गाँव के किनारे बने एक मकान में ले गया और उसे घर के अन्दर बांध कर खुद एक पास लगे एक पेड पर चढ़ गया। उसने बकरी की पूँछ में रस्सी बाँधी जिसे वह पेड के ऊपर से खींचता रहता जिस से बंकरी मिम्यती रहती।  जैसे जैसे रात हुई लक्टकिया बार बार रस्सी खीचता रहा , बकरी की आवाज़ सुनकर शेर उसके पास गया और घर में घुस कर बंधी बकरी पर टूट पड़ा।  जैसे ही शेर घर के अन्दर घुसा लक्टकिया ने पेड से नीचे उतर कर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।  जब सुबह राजा के सिपाही आये लक्टकिया माकन के बाहर सो रहा था।  सिपाहियों ने उसे जगाया और पुछा शेर का क्या हुआ ? लक्टकिया बड़ी अकड़ में ताने मारते हुए बोल, तुम सब किसी काम के नहीं हो बेकार में राजा का पैसा खा रहे हो, जाकर देखो कमरे के अन्दर मेने शेर को कान पकड़ कर अन्दर डाल दिया है। जब सिपाहियों ने खिड़की से झाँक कर देखा तो सच में शेर अन्दर था।  वे सब दोडते हुए राजा के पास गए और उसे सारा हाल बताया।

जब राज ने स्वयं जाकर शेर को कमरे में बंद देखा तब उसे एहसास हो गया की लक्टकिया तो बहुत ही ताकतवर है।  अब उसे लक्टकिया से डर लगाने लगा कुछ मंत्रिओं की सलाह पर उसने सोचा की इतना  शक्तिशाली आदमी जो शेर को कान पकड़ कर कमरे में बंद कर सकता है अगर किसी दिन मेरे ही खिलाफ हो गया तो मेरा राज पाठ तो गया।  राजा ने सोचा ऐसे इन्सान से दूर ही रहना बेह्तार है यही सोच कर उसने लक्टकिया को कुछ पैसे देकर जाने को कहा।  लक्टकिया उदास था बड़ी मुश्किल से तो राजा के यहाँ नौकरी मिली थी अब  है।  राजा ने कुछ सिपाहियों को लक्टकिया के पीछे लगा दिया ताकि वो सच में राज्य की सीमा के पार तक जाये।

लक्टकिया जाने लगा , जाते जाते उसने देखा की राजा की सिपाही पीछे आ रहे हैं। वह एक जगह पर बैठ गया और पास पड़ी एक लकड़ी से ज़मीन खोदने लगा।  जैसे जैसे सिपाही पास आते वह और जोर जोर से लकड़ी ज़मीन पर मारता।  जब सिपाही पास आये तो उन्होंने पुछा , भाई लक्टकिया ये क्या कर रहे हो।  लक्टकिया गुस्से में बोला , क्या तुम्हारे राजा को अब में देखता हूँ , मुझे नौकरी से निकाल दिया , अब में इस गड्ढे से पकड़ कर पूरी धरती पलटा दूंगा सब कुछ ख़तम हो जायेगा , फिर देखता हूँ तुम्हारा राजा क्या करता है। सिपाहियों ने उसके पाव पकड़ लिए और उसे ऐसा न कने के लिए विनती करने लगे। जब राजा को ये बात मालूम पड़ी की लक्टकिया तो पूरी दुनिया ही मिटने पे अड गया है, वो उसके पास गया उसे पूरी इज्ज़त से अपने राजदरबार में लाया और सबके सामने उसे अपना आधा राज्य दे दिया।  तो इस तरह से लक्टकिया  चरवाहे से राजा बन गया , भैस और अकल में अकल ही बड़ी होती है।