टिप टिप गिरती बूंदों को देख कर
न जाने क्यों मुझे तुम्हारी याद आगईन जाने क्यों वो सावन याद आगया
न जाने क्यों वो रात याद आगई
दुनिया से बचते तुम्हारे सहारे
चला जा रहा था किनारे किनारे
तुम्हारे घने काले बालों का मुझ पर था साया
कई बार मेने तुम्हे था आजमाया
तुम हमेसा देती थी मेरा साथ
तुम्हारी पतली कलाई और मेरा मजबूत हाथ
न जाने क्यों आज मुझे वोह पकड़ याद आगई
टिप टिप गिरती बूंदों को देख कर
न जाने क्यों मुझे तुम्हारी याद आगई
न जाने क्यों वो सावन याद आगया
न जाने क्यों वो रात याद आगई
वो बारिश में तुम्हारे साथ चाय पीना
यूँ लगता था साथ होगा मरना और साथ होगा जीना
वो बारिश के बाद तुम्हारा सहम जाना
जुल्फों से पानी झटकना और उन्हें सुखाना
वो मेरी बदकिस्मती थी जो तुम मुझसे जुदा हो गई.
न जाने कोन ले गया .. मेरी प्यारी छतरी कहाँ खो गई ..